ईश्वर की प्रार्थना वही कर सकता है, जिसकी आत्मा शुद्ध हो, पढें इससे जुड़ी अनमोल सीख

ईश्वर की प्रार्थना वही कर सकता है, जिसकी आत्मा शुद्ध हो, पढें इससे जुड़ी अनमोल सीख

ईश्वर के लिए की जाने वाली प्रार्थना भले ही आपके लिए तमाम चीजों को नहीं बदल देंगी, लेकिन एक बात तो तय है कि वह आपको चीजों के लिए जरूर बदल देगी. प्रार्थना के असल मायने समझने के लिए पढ़ें सफलता के मंत्र.

Importance of Prayer: मनुष्य के जीवन में जब कभी भी कठिन समय आता है और उसे जीवन में अपनी समस्याओं को दूर करने का कोई रास्ता नहीं दिखाई देता है, सभी संगी-साथी उसकी मदद करना छोड़ देते हैं तो वह अंत में परमपिता परमेश्वर की शरण में जाता है. वह उन्हीं के चरणों में अपने मन का कष्ट अर्पित करता है और वह उनसे अपने कष्टों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करता है. जब मन और वाणी एक होकर परमपिता ईश्वर से कोई चीज की मांग करते हैं तो उसे प्रार्थना कहते हैं.

सच्चे मन से की गई ऐसी प्रार्थना को सुनकर भगवान अक्सर अपने भक्त की मदद करते हैं. उसे जीवन की सही राह दिखाते हुए सफलता की ओर ले जाते हैं. प्रार्थना एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति का मन शुद्ध होता है. ईश्वर के लिए गई प्रार्थना एक ऐसा माध्यम होता है जिसकी मदद से व्यक्ति अपनी कमजोरियों पर पार पाते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है. आइए ईश्वर के लिए की जाने वाली प्रार्थना के सही मायने को समझने के लिए पढ़ते हैं सफलता के मंत्र.

  1. प्रार्थना धर्म का निचोड़ है और यह ईश्वर के सामने कोई याचना नहीं बल्कि यह सच्चे मन और हृदय की पुकार है.
  2. प्रार्थना का मतलब केवल ईश्वर के सामने अपनी कामनाओं को कहना भर नहीं है, बल्कि ईश्वर के नाम का जाप करना है.
  3. ईश्वर के लिए की जाने वाली प्रार्थना तब होती है जब आप उससे सच्चे मन से अपनी बात करतें हैं, ध्यान तब होता है जब उसी ईश्वर की सुनते हैं.
  4. बारिश का परिणाम शरीर पर और उसके द्वारा व्यक्ति के मन पर होता हैं, जबकि ईश्वर के लिए की जाने वाली प्रार्थना का परिणाम हृदय के माध्यम से आत्मा पर होता हैं.
  5. जीवन से जुड़ी समस्याएं और कष्ट इंसान को प्रार्थना तक ले जाती हैं, और यही सच्चे मन से की गई प्रार्थना उसके सभी कष्टों को दूर करते हुए सुख और सौभाग्य प्राप्त करती है.