Delhi Assembly Polls 2025: दिल्ली की वो सीट जहां BJP ने पहले तोड़ा AAP का विधायक, फिर 2020 में लगाई सेंध

Delhi Assembly Polls 2025: दिल्ली की वो सीट जहां BJP ने पहले तोड़ा AAP का विधायक, फिर 2020 में लगाई सेंध

दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने कभी कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट पर पहले AAP के विधायक को तोड़ा. फिर उसी के भरोसे वहां पर 2020 के चुनाव में जीत भी हासिल की. बीजेपी ने अब कांग्रेस छोड़कर आए पुराने दिग्गज को टिकट दिया है.

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही यहां का सियासी पारा हाई हो चुका है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहले ही सभी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने भी अपनी शुरुआती लिस्ट जारी कर दी है. हालांकि यहां की कई सीटों पर कांटेदार मुकाबले के आसार हैं. राजधानी में एक सीट ऐसी भी है, जहां बीजेपी ने पहले AAP के विधायक को तोड़ा फिर उन्हीं के दम पर 2020 में यह सीट भी झटक ली.

यह सीट है पूर्वी दिल्ली की हाई प्रोफाइल गांधी नगर विधानसभा सीट. एक समय यह सीट सिख समुदाय से आने वाले कद्दावर नेता अरविंदर सिंह लवली के नाम से जानी जाती थी. लवली यहां से लगातार 4 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. वह शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री भी रहे. वह कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष भी रहे.

2015 में AAP के टिकट पर जीते अनिल

लवली साल 2013 में आम आदमी पार्टी के आने के बाद भी इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. वह 2015 में यहां से चुनाव मैदान में नहीं उतरे और इस सीट पर आम आदमी पार्टी के अनिल बाजपेयी ने जीत हासिल कर ली. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी जितेंद्र को 7 हजार से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया. आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में दिल्ली में बंपर जीत हासिल हुई. पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर कब्जा जमा लिया.

दिल्ली में प्रचंड जीत और पूर्ण बहुमत के साथ राजधानी की सत्ता पर पहली बार काबिज होने वाली आम आदमी पार्टी की अंदरुनी राजनीति में काफी हलचल रही. पार्टी को कई बड़े नेताओं और कुछ विधायकों से हाथ धोना भी पड़ गया. इन्हीं में विधायक अनिल बाजपेयी भी रहे. 3 मई, 2019 को गांधी नगर सीट से AAP के विधायक अनिल बाजपेयी ने बीजेपी का दामन थाम लिया.

BJP पर खरीद-फरोख्त के आरोप

तब दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत AAP के कई नेताओं ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया. मनीष सिसोदिया ने तब यहां तक आरोप लगाया कि बीजेपी ने AAP के 7 विधायकों को पार्टी छोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये की पेशकश की है. हालांकि बाजपेयी ने ऐसे आरोपों से इनकार किया.

साल 2015 में AAP के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बाजपेयी को बीजेपी ने 2020 के चुनाव में इसी सीट से उतार दिया. मुकाबला त्रिकोणीय रहा लेकिन जीत अनुभवी नेता अनिल कुमार बाजपेयी के खाते में गई. गांधी नगर विधानसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी बाजपेयी के सामने कांग्रेस ने अरविंदर सिंह लवली को उतारा तो आम आदमी पार्टी की ओर से नवीन चौधरी को खड़ा किया गया था.

1993 के बाद BJP की पहली जीत

विधानसभा चुनाव में लवली को कुल 21,913 वोट मिले तो नवीन चौधरी के खाते में 42,745 वोट आए. लेकिन बाजपेयी ने 48,824 वोट हासिल कर 6,079 मतों के अंतर से जीत अपने नाम कर लिया. बाजपेयी की बदौलत बीजेपी ने 27 साल के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए यहां पर अपनी जीत दर्ज कराई. साथ ही AAP से यह सीट झटक ली. बीजेपी ने इससे पहले अपनी पहली और आखिरी जीत साल 1993 में हासिल की थी. तब बीजेपी के दर्शन कुमार बहल को जीत मिली थी.

ऐसे में बीजेपी का आम आदमी पार्टी में तोड़फोड़ करना फायदेमंद रहा. AAP ने 2020 के चुनाव में 70 में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर जीत मिली जिसमें गांधी नगर विधानसभा सीट भी शामिल थी.

दलबदलने वाले नेता पर फिर से भरोसा

अब 2025 की चुनावी बिसात बिछाई जा रही है. AAP ने इस बार भी नवीन चौधरी को ही मैदान में खड़ा किया है जिनके सामने बीजेपी ने एक बार फिर पार्टी बदलकर आए एक अन्य नेता पर भरोसा जताया है. बीजेपी ने अरविंदर सिंह लवली को यहां से उतारा है. वह लगातार 4 बार गांधी नगर सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए.

बीजेपी ने 2020 की तरह 2025 में भी दलबदल करने वाले नेता को ही यहां से उतारा है, ऐसे में अब देखना होगा कि बीजेपी का यह दांव लगातार दूसरी बार कामयाब होता है या नहीं?