Kota Lok Sabha Seat: लोकसभा स्पीकर की सीट, अब तक रहे अजेय; क्या ओम बिरला को यहां से मिलेगी टक्कर?

Kota Lok Sabha Seat: लोकसभा स्पीकर की सीट, अब तक रहे अजेय; क्या ओम बिरला को यहां से मिलेगी टक्कर?

राजस्थान के कोटा में बीजेपी अपने विजय रथ पर सवार है. 2014 से यहां से लगातार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला चुनाव जीत रहे हैं. वह तीसरी बार मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर पूरी तैयारी के साथ मैदान में है. ऐसे में देखने की बात है कि ओम बिरला की हैट्रिक लगती है या फिर यहां से कांग्रेस को एक बार फिर मौका मिलता है.

राजस्थान में चंबल नदी के किनारे बसा कोटा देश की शैक्षिक राजधानी बन चुकी है, लेकिन राजनीतिक नक्शे पर भी इसकी अहमियत बहुत है. कोटा लोकसभा क्षेत्र को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. उसमें भी बड़ी बात यह है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला यहीं से सांसद हैं. वह लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं और हैट्रिक लगाने के लिए एक बार फिर मैदान में है. वैसे यहां की जनता झटका देना भी बाखूबी जानती है. यहां एक परंपरा रही है कि एक ही प्रत्याशी या पार्टी को दो बार जीत के बार बुरी हार का सामना करना पड़ता है.

ऐसे में यह देखने की बात है कि ओम बिरला यहां मिथक को तोड़ कर हैट्रिक लगाते हैं या फिर कांग्रेस को मौका मिलेगा. यदि पिछले चुनावों पर नजर डालें तो यह परंपरा साफ नजर आती है. यह लोकसभा सीट आजादी के साथ ही अस्तित्व में आ गई थी और यहां पहला चुनाव 1952 में हुआ. उस समय कांग्रेस के नेमीचंद्र कासलीवाल यहां से सांसद चुने गए थे. उन्होंने दोबारा 57 में भी जीत दर्ज की, लेकिन 62 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के ओंकारलाल बैरवा ने यह सीट उनसे झटक ली. बैरवा 67 और 71 का चुनाव भी जीतने में सफल रहे.

2014 में जीते ओम बिरला

फिर जब 77 का चुनाव आया तो यहां की जनता ने उन्हें कुर्सी से उतार कर कृष्ण कुमार गोयल को चुन लिया. गोयल 80 के चुनाव में भी विजयी हुए.84 में चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने वापसी की और शांति धारीवाल यहां से सांसद चुने गए, लेकिन 89 में भाजपा ने फिर से इस सीट पर कब्जा किया और दाऊ दयाल जोशी सांसद बने. वह 91 और 96 के चुनाव में भी जीते. हालांकि 98 के चुनाव में कांग्रेस के रामनारायण मीणा ने यह सीट जीत कर कांग्रेस की झोली में डाल दिया. इसके बाद 99 और 2004 के चुनाव में भाजपा के रघुवीर सिंह कौशल यहां से सांसद चुने गए. 2009 में कांग्रेस के टिकट पर महाराज इज्यराज सिंह जीते तो 2014 और 19 में ओम बिरला ने यहां बीजेपी का भगवा ध्वज फहराया.

इतिहास भूगोल

राजधानी जयपुर से करीब 240 किमी दक्षिण में बसे कोटा को जयपुर और जोधपुर के बाद राजस्थान का तीसरा बड़ा शहर कहा जाता है. इस शहर की स्थापना हाडा राजपूतों ने की. देखा जाए तो कोटा का इतिहास राजा कोटिया भील से शुरू होता है. यह कभी बूंदी राज्य का हिस्सा था. मुगल शासक जहांगीर ने बूंदी जीतने के बाद कोटा को 1624 ई. में स्वतंत्र राज्य की मान्यता दी. राव माधो सिंह यहां के प्रथम स्वतंत्र शासक बने.

1818 ई. यह ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया. राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित यह शहर चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है. यह शहर महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है. यहां नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है. एक तरफ जहां शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं, वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और मल्टी मेटल उद्योग आधुनिकता का भी एहसास कराते हैं.

पर्यटन

चंबल के पूर्वी तट पर 17 वीं शताब्दी में बने कोटा किला मुख्य आकर्षण है. किले के बुर्ज, बालकनी, गुम्बद और परकोटे बेहद आकर्षक हैं. इसी प्रकार राव माधो सिंह संग्रहालय, जगमंदिर महल, उम्मेद भवन, सरकारी संग्रहालय, मगरमच्छों से भरा चम्बल गार्डन और देवताजी की हवेली को भी देखने के लिए रोज सैकड़ों की तादात में देशी विदेशी पर्यटक आते हैं.

कैसे पहुंचे

कोटा से नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर का सांगानेर विमानक्षेत्र है. वैसे तो कोटा में भी हवाईअड़ा है, लेकिन यहां से अभी केवल जयपुर के लिए नियमित उड़ान शुरू हुई है. रेल मार्ग से यह शहर जुड़ा है और कोटा जंक्शन भारतीय रेलवे की पश्चिम मध्य रेलवे इकाई के कोटा संभाग का संभागीय मुख्यालय है. यहां से दिल्ली और मुंबई समेत तमाम बड़े शहरों के लिए सीधी रेल सेवाएं उपलब्ध हैं. इसी प्रकार सड़क मार्ग से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.

सामाजिक ताना बाना

सामान्य श्रेणी की इस संसदीय सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की आबादी करीब 394,154 यानी 20.4 फीसदी है. वहीं अनुसूचित जनजाति के वोटर लगभग 253,108 यानी 13.1 फीसदी हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 244,840 यानी 12.7 फीसदी है. इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग 993,112 यानी 51.4 फीसदी वोटर ग्रामीण हैं. वहीं शेष लगभग 939,013 यानी 48.6 फीसदी वोटर शहरी हैं. साल 2019 के संसदीय चुनाव में यहां कुल मतदाता 1932125 थे. इनमें से 69.8 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.