जयपुर में PFI मॉड्यूल पर बड़ा खुलासा, जकरात के पैसों से चलते थे आतंकी कैंप, भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का था प्लान

एनआईए ने चार्जशीट में पीएफआई को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. पीएफआई के दफ्तर में आतंकियों को तैयार किया जा रहा था. भड़काऊ वीडियो दिखाकर मुस्लिम लड़के-लड़कियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था. साथ ही उन्हें 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने पर जोर दिया जाता था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने राजस्थान में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 120 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की. एनआईए की चार्जशीट में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन को लेकर कई बड़े खुलासे हुए हैं. इसके मुताबिक पीएफआई के दफ्तर में आतंकियों को तैयार किया जा रहा था. यहां चाकूबाजी से लेकर आत्मरक्षा तक की ट्रेनिंग दी जा रही थी. इतना ही नहीं आतंकी कैंपों में गुजरात दंगों और मॉब लिंचिंग के वीडियो दिखाकर मुस्लिम लड़के-लड़कियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था.
जांच के बाद एनआईए ने चार्जशीट में पीएफआई को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. पीएफआई से जुड़े सदस्यों को अपने-अपने शहरों में कैंप चलाने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन इन ट्रेनिंग कैंपों की आड़ में युवकों को हथियार चलाने और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जा रही थी. सबसे बड़ी बात यह है कि पीएफआई के आतंकी ट्रेनिंग कैंप जकात के नाम पर जुटाए गए पैसों से चलाए जा रहे थे. पीएफआई की पाठशाला में युवाओं को भड़काऊ वीडियो दिखाकर 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने पर जोर दिया जाता था.
भड़काऊ वीडियो दिखाकर ब्रेनवॉश
इसके अलावा फोन से कई और फोटो और वीडियो भी बरामद हुए हैं. जिसमें पुरुष और महिलाएं एयरगन थामे नजर आ रहे हैं. इसके अलावा एक और फोटो बरामद हुई है जिसमें पुरुष और महिलाओं को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है. बैक ग्राउंड में पीएफआई का झंडा और आजादी महोत्सव का पोस्टर देखा जा सकता है. पीएफआई की पाठशाला में युवाओं को भड़काऊ वीडियो दिखाकर 2047 में भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने पर जोर दिया जाता. इसके लिए उन्हें अपनी जान भी देनी पड़े तो पीछे नहीं हटने के लिए तैयार किया जाता था.
जयपुर के पीएफआई मॉड्यूल में गिरफ्तार पांच आरोपियों में से एक मोहम्मद आसिफ के मोबाइल से एक फाइल बरामद हुई थी. इस फाइल का नाम tilecache.l_embedded_469 था. इस फाइल में लिखा था कि ‘शारीरिक फिटनेस कार्यक्रम- युवाओं को स्वस्थ रखने के लिए पीएफपी के तहत कई एनजीओ और संस्थाओं द्वारा कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे- जैसे योग, मार्शल आर्ट, खेल, संगीत कार्यक्रम.
ब्रेनवॉश करने के बाद दी जाती थी ट्रेनिंग
पीएफआई के सदस्यों को अपने-अपने शहरों में कैंप चलाने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन योगशाला और अखाड़े की आड़ में इन ट्रेनिंग कैंपों में युवाओं को हथियार चलाने और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जा रही थी. इसके साथ ही युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें खतरनाक इरादों के लिए तैयार किया जा रहा था. ब्रेनवॉश करने के बाद कैडर को दो हिस्सों में शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता था. पहला बेसिक- जिसमें सदस्यों को मार्शल आर्ट, बॉक्सिंग, एयरगन से शूटिंग आदि सिखाई जाती है.
प्रशिक्षण के पहले हिस्से का उद्देश्य शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों की पहचान करना है जो उन्नत स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरने में सक्षम हैं, जिसे उन्नत कुल्हाड़ी भी कहा जाता है. प्रशिक्षण के दूसरे हिस्से यानी कुल्हाड़ी II में तलवार, चाकू या हथियार का इस्तेमाल करके व्यक्ति के सिर, छाती, कंधे और अन्य कमजोर हिस्सों पर हमला करने की तकनीक सिखाई जाती.
इस तरह की ट्रेनिंग देने का मकसद पीएफआई कैडरों को भारत सरकार, हिंदू संगठनों और अन्य धार्मिक संगठनों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रशिक्षित करना है, ताकि 2047 तक भारत में मुस्लिम राज स्थापित किया जा सके. इसे डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का समर्थन प्राप्त है, ताकि यह 2047 तक भारत में इस्लामिक राज स्थापित करने की योजनाओं को अंजाम दे सके.
मुसलमानों से जकात के नाम पर लिए पैसे
एनआई की जांच के दौरान पीएफआई सदस्यों के जयपुर, कोटा, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, बूंदी समेत 120 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया गया. इस दौरान चाकू, एयरगन, कुल्हाड़ी, आपत्तिजनक डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज जब्त किए गए, जिन्हें डेटा विस्तार और रिपोर्ट के लिए सीएफएसएल नई दिल्ली सी-डेक तिरुवनंतपुरम भेजा गया. इन तलाशियों के दौरान बरामद आपत्तिजनक दस्तावेजों से पीएफआई कैडरों के एडवांस ट्रेनिंग कोर्स का पता चला.
चार्जशीट के मुताबिक, पीएफआई द्वारा जयपुर के पंजाब नेशनल बैंक में खोले गए बैंक खाते की भी जांच की गई. पाया गया कि साल 2011 से 2022 के दौरान 2,98,47,916.99 रुपये जमा किए गए, जिनमें से 2,96,12,429.50 रुपये निकाले गए. चार्जशीट से पता चला है कि ये करोड़ों रुपये देश के निर्दोष मुसलमानों से ज़कात के नाम पर एकत्र किए गए थे, जिनका इस्तेमाल बाद में हथियार खरीदने, हथियार प्रशिक्षण शिविर चलाने और चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने के लिए किया गया.
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