जैसलमेर से भी है भगवान श्री कृष्ण का नाता, 5000 साल पुराना कुआं दे रहा गवाही

जैसलमेर से भी है भगवान श्री कृष्ण का नाता, 5000 साल पुराना कुआं दे रहा गवाही

राजस्थान के जैसलमेर के सोनार दुर्ग में बने एक कुए का इतिहास 1-2 नहीं बल्कि 5 हजार साल पुराना है. बताया जाता है कि इस कुएं को स्वयं भगवान श्री कृष्ण अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से खोदा था.

राजस्थान का इतिहास यूं तो कई परतों में बंद है और जितनी परतें खोली जाएं हर एक में एक महान गाथा मिलती है. किसी शूरवीर की युद्ध गाथा तो किसी की अपार भक्ति गाथा. इन गाथाओं में एक और रोचक कहानी जैसलमेर के दुर्ग से सामने आती है. जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं इस किले के अंदर स्थित चमत्कारिक कुआं का भगवान श्री कृष्ण से क्या नाता है?

जैसलमेर के इतिहासकार तने सिंह सोढ़ा बताते हैं कि प्राचीन काल में मथुरा से द्वारका जाने का रास्ता जैसलमेर से होकर गुजरता था. एक बार भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ जैसलमेर होकर द्वारका जा रहे थे. रास्ते में दोनों त्रिकूट पर्वत पर रुके. यह वहीं त्रिकूट पहाड़ी है जहां पर आज सोनार दुर्ग बना हुआ है. कुछ देर रुके तो अर्जुन को प्यास लगी. आस-पास उन्होंने देखा तो कहीं भी पानी नहीं था.

जब प्यास से व्याकुल हुए अर्जुन

थोड़ी ही देर में अर्जुन प्यास से व्याकुल होने लगे और उन्होंने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना सुनने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कुआं खोद दिया और अर्जुन की प्यार बुझाई. इस घटना के बाद अर्जुन ने भगवान से उस स्थान के बारे पूछा कि यहां क्या होगा तो भगवान ने कहा था कि इस जगह पर उनके वंशज आकर राज्य बसाएंगे. इस कुएं का नाम जैसलू कुआं पड़ गया. इस कुएं का जिक्र मुहणोत नैणसी री ख्यात जो कि 1610 से 1670 के बीच लिखी गई थी उसमें भी है. इसे मध्यकालीन इतिहासकार मारवाड़ राठौड़ शासक जसवंत के दीवान हुआ करते थे. कुएं का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना बताया जाता है.

जैसलमेर के बसने से पहले का शिलालेख

इतिहासकार मेहता अजीत ने भी अपनी विख्यात किताब भाटीनामे में लिखा है कि जैसलमेर के बसने की भविष्यवाणी यहां रखे एक शिलालेख में पहले ही की गई थी. इस शिलालेख पर लिखा है कि जैसल नाम का जदुपति, यदुवंश में एक थाय, किणी काल के मध्य में, इण था रहसी आय. इसका अर्थ है कि जसल नाम का एक राजा यहां आए और इसे अपनी राजधानी बनाएगा. 1212 में महारावल जैसल ने त्रिकूट गढ़ पर सोनार दुर्ग बनवाया था.

सालों तक बुझाता रहा प्यास

कहा जाता है कि सोनार दुर्ग में मौजूद जैसलू कुआं सैकड़ों साल तक लोगों की प्यास बुझाता रहा है. हालांकि इस कुएं को 1965 में बंद कर दिया गया था. हालांकि कहा जाता है कि अभी भी इस कुएं में पानी है.

रिपोर्ट- जैसलमेर / जगदीश गोस्वामी