झारखंड में नेता प्रतिपक्ष पर सस्पेंस बरकरार, चंंपई सोरेन बोले- ‘मैं रेस में नहीं हूं…’
झारखंड में नेता प्रतिपक्ष पर अभी सस्पेंस बरकरार है. राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी नेता प्रतिपक्ष के लिए पार्टी से ही कोई पुराना नेता चुनेगी तो वहीं बीजेपी में चंपई सोरेन के आने के बाद से उन्हें कोई विशेष जिम्मेदारी नहीं सौंपे जाने पर नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं.
झारखंड विधानसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन, सर्वसहमति से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नाला के विधायक रविंद्र नाथ महतो को लगातार दूसरी बार झारखंड विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया. रविंद्रनाथ महतो ने स्पीकर के पद के दायित्व को संभाल लिया. वहीं दूसरी तरफ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विहीन है. नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर सस्पेंस बरकरार है. झारखंड की प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी अब तक अपना विधायक दल का नेता चुनने में असफल रही. यही कारण है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष की कमी रह गई.
हालांकि, इस बारे में जब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से विधानसभा में सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि बहुत जल्द नेता प्रतिपक्ष का चयन हो जाएगा. नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इसके नाम का खुलासा करने में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कोई नाम नहीं बताया गया.
मैं नेता प्रतिपक्ष बनने की रेस में नहीं हूं
वहीं नेता प्रतिपक्ष बनने के सवाल पर TV9 से बात करते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में सरायकेला से भारतीय जनता पार्टी के विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष बनने की रेस में नहीं हैं. अगर पार्टी इस तरीके का दायित्व उन्हें देगी तो वह विचार करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि सत्र समाप्ति के बाद 12 दिसंबर के बाद नेता प्रतिपक्ष का चयन हो जाएगा, कौन बनेगा उनका नाम भी स्पष्ट हो जाएगा.
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा में चंपई सोरेन के घर वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा में वापस नहीं जा रहा हूं मैं भारतीय जनता पार्टी में हूं और यही रहूंगा. हालांकि, कुछ राजनीतिक जानकारों से जब हमने नेता प्रतिपक्ष के चयन में हो रही देरी को लेकर कारण जानने की कोशिश की तो हमें यह जानकारी मिली कि पार्टी के अंदर एक वर्ग है जो चाहता है कि भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता और नेता प्रतिपक्ष का दायित्व इस विधायक को सौंपे जो भारतीय जनता पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े रहे हैं. यानी वह किसी दूसरे दल से नहीं आए हैं बल्कि, भारतीय जनता पार्टी के ही स्थापित नेता हों.
कौन बन सकता है नेता प्रतिपक्ष?
चर्चा है कि रांची से लगातार सातवीं बार विधायक निर्वाचित हुए वरिष्ठ नेता सीपी सिंह को भी पार्टी के अंदर का एक वर्ग नेता प्रतिपक्ष के रूप में देखना चाहता है क्योंकि बीजेपी के कदावर नेता सीपी सिंह ने अपना राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी से ही शुरू किया. वह भारतीय जनता पार्टी में आज तक बने हुए हैं.
हालांकि, एक दूसरी चर्चा यह भी है की चंपई सोरेन को नेता प्रतिपक्ष का दायित्व दिया जा सकता है, क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा से भारतीय जनता पार्टी में शामिल करवाने के बाद अब तक उन्हें कोई बड़ा दायित्व नहीं दिया गया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता या नेता प्रतिपक्ष का दायित्व मिलने से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सहमत रहेंगे या नहीं.
नहीं बन पा रही है आपसी सहमति
पार्टी में नाराजगी और आपसी सहमति नहीं बनने के कारण ही अब तक शायद भाजपा विधायक दल के नेता या नेता प्रतिपक्ष का चयन करने में असफल रही है. अगर पिछले ट्रैक रिकार्ड को देखें तो, पंचम झारखंड विधानसभा (2019- 2024) में भी इसी प्रकार नेता प्रतिपक्ष का मामला फंसा हुआ था.
पहले बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता बनाया गया था, लेकिन विधानसभा में उन्हें नेता प्रतिपक्ष कि मान्यता नहीं मिली थी. उनके खिलाफ दल-बदल का मामला चल रहा था. आखिरकार लगभग 4 साल गुजरने के बाद भारतीय जनता पार्टी बाबूलाल मराण्डी के बजाय अमर बावरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया था.
इस बार भी कुछ इसी तरीके की संशय की स्थिति नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर बरकरार है. हालांकि, चंपई सोरेन समेत भारतीय जनता पार्टी के अधिकांश विधायकों ने कहा कि सत्र समाप्ति के और प्रांत यानी 12 दिसंबर के बाद नेता प्रतिपक्ष का चयन हो जाएगा. अब देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी किस नेता को विधानसभा में प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व सौंपती है.