टाइगर की दहाड़, MP में सबसे दमदार, CM यादव ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर दी बधाई

टाइगर की दहाड़, MP में सबसे दमदार, CM यादव ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर दी बधाई

एक वक्त था, जब देश में बाघ की प्रजाति विलुप्त होती जा रही थी. ऐसे में इनके संरक्षण और प्रोमोशन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर योजना शुरू हुई, जिसका मध्यप्रदेश में इतने शानदार ढंग से क्रियान्वयन हुआ कि आज देश के दिल में बाघों की बहार है. मध्यप्रदेश को तीसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला, जो आज भी बरकरार है.

मध्यप्रदेश को देश का दिल कहा जाता है. कहते हैं कि जो भी एक बार हृदय प्रदेश आता है, वह यहां बार-बार आना चाहता है. भला ऐसा हो भी क्यों ना, आखिर मध्यप्रदेश में वह सब कुछ है, जो हर दिल चाहता है. जंगल के राजा टाइगर, जिसे हम हिंदी में बाघ कहकर पुकारते हैं, उसे भी यहां की आबोहवा खूब रास आती है. इसलिए तो बाघों की आबादी देश में अगर कहीं सबसे अधिक है, तो वह है मध्यप्रदेश.

बाघों के रहने के लिए अनुकूल माहौल और प्रजनन के लिए किए गए प्रयासों से इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है. आज जब पूरी दुनिया टाइगर डे मना रही है, तो हम गर्व के साथ कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट है.

सीएम मोहन यादव ने दी बधाई

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश सर्वाधिक बाघ वाला प्रदेश है. प्रदेश में बाघों की आबादी बढ़कर 785 पहुंच गई है. यह प्रदेश के लिये गर्व की बात है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.

सीएम यादव ने कहा कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा का कार्य अत्यंत मेहनत और परिश्रम का है. समुदाय के सहयोग के बिना वन्य प्राणियों की सुरक्षा संभव नहीं है. वन विभाग और वन्य प्राणियों की सुरक्षा में लगे सभी लोग बधाई के पात्र हैं, जिनके कारण मध्यप्रदेश एक बार फिर टाइगर स्टेट बन गया है. मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर जंगलों में बाघों के भविष्य को सुरक्षित करने और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प लेने का आह्वान किया है.

उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण के लिये संवेदनशील प्रयासों की आवश्यकता होती है जो वन विभाग के सहयोग से संभव हुई है. हमारे प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों में बेहतर प्रबंधन से जहां एक ओर वन्य प्राणियों को संरक्षण मिलता है, वहीं बाघों के प्रबंधन में लगातार सुधार भी हुए हैं.

वन्य प्राणियों के प्रति संवेदनशीलता

वन्य प्राणियों के प्रति संवेदनशीलता का हाल ही में सीहोर जिले में एक उदाहरण सामने आया था. सीहोर जिले के बुदनी के मिडघाट रेलवे ट्रेक पर बाघिन के तीन शावक ट्रेन की चपेट में आ गये थे, जिसमें दो गंभीर रूप से घायल शावकों को सीएम यादव के निर्देश पर जिला प्रशासन और वन्य प्राणी चिकित्सकों की टीम द्वारा एक डिब्बे की विशेष ट्रेन से उपचार के लिये भोपाल लाया गया था.

एक दशक से टाइगर स्टेट का तमगा

विश्व भर में बाघों की संख्या का 75 प्रतिशत भारत में है. वहीं भारत में कुल बाघों का 20 प्रतिशत से अधिक हमारे प्रदेश में हैं. वर्तमान में मध्यप्रदेश के पास टाइगर स्टेट का दर्जा है और यह अभी से नहीं, बल्कि बीते एक दशक से है. मध्यप्रदेश सबसे पहले वर्ष 2006 में टाइगर स्टेट बना था, जबकि वर्ष 2023 में तीसरी बार मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट होने का गौरव मिला.

साल 2022 में हुई गणना के अनुसार मध्यप्रदेश 785 बाघों की दहाड़ से गुलजार है. इससे पहले वर्ष 2018 में जो गणना हुई, उसमें भी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 526 टाइगर थे. 4 साल के अंतराल में प्रदेश में बाघों की संख्या में 259 का इजाफा हुआ था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाघों के लिए राज्य के जंगल सबसे अधिक उपयुक्त हैं.

विश्व में सर्वप्रथम अनाथ बाघ शावकों को उनके प्राकृतिक परिवेश में बढ़ाकर संरक्षित क्षेत्रों में मुक्त करने का सफल प्रयास प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व में किया गया. जहां से पन्ना, सतपुड़ा, संजय, वीरांगना रानीदुर्गावती टाइगर रिजर्व एवं माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघ छोड़े गए.

राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों से गुलजार है मध्यप्रदेश

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार, मध्यप्रदेश ने 10 राष्ट्रीय उद्यानों और 25 वन्यजीव अभ्यारण्यों को अधिसूचित किया है. प्रदेश में कुल 7 टाइगर रिजर्व है, इसमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में आने वाला रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व नया है. इसके अलावा मंडला-बालाघाट का कान्हा, उमरिया का बांधवगढ़, पन्ना जिले का पन्ना, सिवनी का पेंच, नर्मदापुरम का सतपुड़ा और सीधी जिले में आने वाला संजय दुबरी टाइगर रिजर्व है. इसके अलावा रायसेन में आने वाला रातापानी अभ्यारण्य अभी प्रोजेक्ट टाइगर के लिए प्रस्तावित है.

डॉ. मोहन यादव की सरकार ने पेश की मिसाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री यादव के नेतृत्व में वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हृदय प्रदेश में विशेष रूप से बाघ के संरक्षण एवं प्रदर्शन के लिए पहले से ही कई प्रकल्प चल रहे हैं और वर्तमान सरकार भी टाइगरों के संरक्षण के लिए नवाचारों के साथ ही निरंतर प्रयास कर रही है.

‘मैं भी बाघ’ थीम पर वन विभाग द्वारा प्रदेशभर में विशेष आयोजन भी किए गए. मोहन सरकार की बाघों के संरक्षण के लिए संवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीहोर जिले में जब बाघिन के घायल शावकों की सूचना सरकार तक पहुंची तो सीएम यादव के प्रयासों से उन्हें लाने और उनके बेहतर उपचार के लिए एक डिब्बे की विशेष ट्रेन का संचालन संभव हुआ. ऐसे अभिनव प्रयासों से ही मध्यप्रदेश आज देश-दुनिया में टाइगर स्टेट के रूप में भी पहचाना जाता है.

बाघों की बहार, बढ़ता पर्यटन और रोजगार

टाइगर रिजर्व और वन अभ्यारण्य क्षेत्र मध्यप्रदेश के पर्यटन विकास को भी गति प्रदान कर रहे हैं. संरक्षित क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 25 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं, जिससे लगभग 55 करोड़ से 60 करोड़ रुपये तक का राजस्व प्राप्त होता है. जिसका 33 प्रतिशत संयुक्त वन प्रबंधन समिति के माध्यम से ग्राम विकास में खर्च किया जाता है.

1994 में हुई प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत

भारत में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत 1 अप्रैल 1973 में हुई थी. वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत वर्ष 1997 से प्रदेश के सभी टाइगर प्रोजेक्ट में टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी की स्थापना की गई. राष्ट्रीय स्तर पर बाघों के संरक्षण हेतु प्रोजेक्ट टाइगर योजना 1973 में लागू हुई थी, जबकि मध्यप्रदेश में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत 1994 में कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से की गई थी.