गुजरात: विद्यापीठ में RSS के कार्यक्रम पर बवाल, जानें क्या है परेशानी की वजह

महात्मा गांधी ने जिस गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की थी उसमें पहली बार आरएसएस का कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. 22 दिसंबर को 'सज्जन शक्ति संगम' कार्यक्रम में 450 से ज्यादा लोग शामिल होंगे. इस कार्यक्रम पर बवाल शुरू हो गया है.
महात्मा गांधी ने जिस गुजरात विद्यापीठ की नींव रखी थी वह एक बार फिर से विवादों में हैं. विवाद का कारण भी अनूठा है, यहां पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कार्यक्रम होने जा रहा है. 22 दिसंबर को होने वाले इस कार्यक्रम का नाम “सज्जन शक्ति संगम” रखा गया है, जिसमें आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, प्रोफेसर, बिजनेसमैन, उद्योगपति, फिल्म कलाकार समेत 450 से ज्यादा लोग शामिल होंगे.
बापू के विद्यापीठ में संघ का कार्यक्रम होने से गांधीवादियों और विद्यापीठ के पूर्व कुलपतियों में नाराजगी है. गांधीवादी मानते हैं कि आरएसएस और गांधी की विचारधारा हमेशा अलग-अलग रही है. ऐसे में गुजरात विद्यापीठ में संघ का कार्यक्रम आयोजित करना ठीक नहीं है. उनका कहना है कि यह कदम महात्मा गांधी के विचारों से दूर जाने जैसा है.
पूर्व चांसलर सुदर्शन अयंगर ने इस पर नाराजगी जाहिर की है, उन्होंने कहा कि गुजरात विद्यापीठ में इस कार्यक्रम का आयोजन करने के पीछे केवल दो कारण हो सकते हैं. पहला, यह कि आरएसएस अब गांधी के विचारों से प्रभावित है. अगर ऐसा है, तो उन्हें सबसे पहले गांधी की विचारधारा पर एक कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए. अयंगर ने यह भी कहा कि विद्यापीठ में आरएसएस का कार्यक्रम आयोजित करना सही नहीं है क्योंकि यह गांधीवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है.
विवाद के बीच आरएसएस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. संघ ने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम आरएसएस के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम राज्य के हर जिले में आयोजित हो रहा है. संघ ने यह भी बताया कि नवजीवन ट्रस्ट पहले भी कई कार्यक्रम आयोजित कर चुका है. महात्मा गांधी भी वर्धा में संघ की बैठक में शामिल हुए थे. उन्होंने संघ के कार्यक्रमों की सराहना की थी. आरएसएस ने यह तर्क दिया कि कार्यक्रम में सामाजिक समरसता पर चर्चा होगी और परिवार के प्रति जागरूकता पर काम किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर गांधी की विचारधारा के साथ किसी विद्यापीठ में इस तरह का कार्यक्रम किया जाता है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है.