जम्मू-कश्मीर में शांति के बिना कोई काम संभव नहीं, विधानसभा में बोले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर में शांति के बिना कोई काम संभव नहीं, विधानसभा में बोले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में शांति की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बिना शांति के अन्य मुद्दों पर काम करना मुश्किल है. उन्होंने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की और सुरक्षा बलों के साथ मिलकर शांति बनाए रखने का वादा किया.

जम्मू और कश्मीर में नई सरकार बनने के बाद से आतंकवादी हमलों में तेजी आई है. राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इन हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर राज्य में शांति नहीं होगी, तो अन्य कार्यों को लागू करना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि शांति स्थापित करना हम सभी की जिम्मेदारी है.

विधानसभा में उपराज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए उमर ने जम्मू और कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की. उन्होंने कहा, यह वह विधानसभा नहीं है जिसे हम चाहते हैं. हम एक पूर्ण विधानसभा चाहते हैं, जैसा वादा प्रधानमंत्री मोदी ने किया था.

संसाधनों पर हमारा अधिकार

उमर ने यह भी कहा, हमें सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. हम राज्य का दर्जा क्यों मांग रहे हैं? हमारी पहचान और संस्कृति को नुकसान पहुंचा है, और हमें लगता है कि राज्य का दर्जा बहाल करके इसे वापस पाया जा सकता है. हमारी भूमि और संसाधनों पर हमारा ही अधिकार होना चाहिए.

उमर ने पीडीपी के अध्यक्ष पर बिना नाम लिए हमला करते हुए कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिखते हैं, लेकिन मैं लोगों को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि सोशल मीडिया पर कुछ लिखने से किसी सरकार का एजेंडा तय नहीं होता.

पुलिस हमारे पास नहीं

जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सोमवार को विधानसभा की बैठक हुई, जिसमें अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में चुनी हुई सरकार को बहुत सी शक्तियां दी गई हैं, लेकिन कानून व्यवस्था हमारे पास नहीं है.

हालांकि, उन्होंने पुलिस और अर्धसैनिक बलों को यह आश्वासन दिया कि राज्य सरकार उनके साथ शांति बनाए रखने में मदद करेगी .उमर ने कहा, अगर शांति नहीं होगी तो अन्य चीजों पर काम करना असंभव होगा. इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम शांति बनाए रखने में सुरक्षा बलों की मदद करें. शांति कायम करने के दो तरीके हैं, एक तो गिरफ्तारी और अन्य उपायों के जरिए, और दूसरा लोगों को शांति में भागीदार बनाकर.