‘आप अपने पति के लायक नहीं’, कोर्ट की जगह यहां संस्थान ने सुनाया फैसला, अब क्या होगा?

‘आप अपने पति के लायक नहीं’, कोर्ट की जगह यहां संस्थान ने सुनाया फैसला, अब क्या होगा?

झुंझुनूं की आदिवासी मीणा सेवा संस्थान ने अपने लेटर हेड पर एक अटपटा सा फरमान जारी करते हुए कहा कि अनिशा कांवत नाम की महिला अपने पति के साथ रहने के लिए योग्य नहीं है. वह अपने पति के साथ घर नहीं बसा सकती, इसलिए संस्थान फरमान जारी करती है कि वह अपने पति से अलग रहे.

राजस्थान के झुंझुनूं से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया. यहां एक विवाहिता ने एक संस्था पर अपना घर तोड़ने का आरोप लगाया है. महिला का आरोप है कि एक आदिवासी संस्था ने उसे उसके पति के साथ रहने के लिए अयोग्य घोषित तक दिया और एक तुगलकी फरमान जारी कर दिया. संस्थान ने अपने लेटर हेड पर लिखकर ये कहा है कि महिला अपने पति के साथ रहने के लिए अयोग्य है और इस वह उसके साथ घर नहीं बसा सकती.

झुंझुनूं की आदिवासी मीणा सेवा संस्थान ने अपने लेटर हेड पर एक अटपटा सा फरमान जारी करते हुए कहा कि अनिशा कांवत नाम की महिला अपने पति के साथ रहने के लिए योग्य नहीं है. वह अपने पति के साथ घर नहीं बसा सकती, इसलिए संस्थान फरमान जारी करती है कि वह अपने पति से अलग रहे. ताज्जुब की बात है कि जिस देश में तलाक को लेकर एक बार में फैसला नहीं आता, वहां एक संस्था ने यह तुगलकी फरमान जारी कर दिया है.

आदेश पर खड़ा हुआ विवाद

इस आदेश को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है. पीड़िता अनिशा कांवत ने संस्थान के जिला अध्यक्ष विरेन्द्र मीणा और मुख्य महासचिव रामनिवास मीणा के खिलाफ झुंझुनूं कोतवाली थाना में मामला दर्ज करवाया है. महिला ने आरोप लगाया है कि वह अपने पति के साथ घर बसाना चाहती है लेकिन संस्थान के पदाधिकारी उसका घर उजाड़ने में लगे हुए हैं. विवाहिता ने बताया कि ये दोनों उसके पति और ससुराल के लोगों के साथ षड्यंत्र रचने में लगे हैं और उसको अयोग्य घोषित कर रहे हैं.

लेटर हेड पर जारी किया तुगलकी फरमान

पीड़िता ने बताया कि 2 जून 2024 को संस्थान के लेटर हेड के आधार पर एक बैठक में उसने अपना पक्ष रखा था. महिला ने कहा कि वह पति के साथ घर बसाना चाहती है. आरोप है कि इसके बावजूद विरेन्द्र मीणा और रामनिवास मीणा ने षड्यंत्र रचकर 7 जुलाई 2024 को उसकी गैर हाजिरी में अपने लेटरपेड पर ससुराल वालों को लिखकर दे दिया कि वह अपने पति के साथ घर बसाने में असमर्थ है. विवाहिता ने आरोप लगाया है कि इन लोगों ने मनमर्जी की संस्था बना रखी है.

महिला ने लगाए आरोप

झुंझुनूं में आदिवासी समाज की कोई रजिस्टर्ड संस्था नहीं है ना ही निर्वाचित संस्था के सदस्य हैं. पैसे लेकर तुगलकी फरमान जारी कर समाज को तोड़ने का काम कर रहे है. महिला ने आरोप लगाया है कि फैसले से पहले उसका पक्ष भी नहीं सुना गया और मनमर्जी से पैसे लेकर ससुराल वालों के पक्ष में एकतरफा फैसला सुनाया गया है. संस्थान के निर्णय के आधार पर ससुराल वाले उसे टॉर्चर कर रहे हैं. कोर्ट में आकर तलाक लेने का दबाव बना रहे हैं. महिला ने बताया कि उसका मामला मीणा समाज बीकानेर के क्षेत्राधिकार में आता है. झुंझुनूं से उनका कोई लेना देना नहीं है फिर भी वीरेन्द्र मीणा और मुख्य महासचिव रामनिवास मीणा ने षड्यंत्र रचकर उसका वैवाहिक जीवन खराब कर दिया. महिला ने रिपोर्ट देकर दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.