रामपुर संसदीय सीटः आजम खान के गढ़ में BJP ने खिलाया कमल, क्या 2024 में SP ले सकेगी बदला

रामपुर संसदीय सीटः आजम खान के गढ़ में BJP ने खिलाया कमल, क्या 2024 में SP ले सकेगी बदला

रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के लिहाज देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की सबसे अधिक है. मुस्लिम वोटर्स के बाद लोधी वोटर्स आते हैं. यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां उपचुनाव में लोधी (घनश्याम) को अपना प्रत्याशी बनाया था जिसका फायदा भी मिला और वो चुनाव जीत गए. रामपुर में मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 फीसदी है.

उत्तर प्रदेश की सियासत में रामपुर लोकसभा सीट की अपनी खासियत है. यह सीट प्रदेश के दिग्गज नेता आजम खान की वजह से जानी जाती है. मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने की वजह से रामपुर सीट पर सभी की नजर रहती है. प्रदेश की 80 सीटों में यह उन सीटों में से है जहां पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई थी. हालांकि 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आजम खान ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था, और फिर कराए गए उपचुनाव में बीजेपी ने यहां पर भी कब्जा जमा लिया. बीजेपी ने एक बार फिर 2024 के चुनाव में घनश्याम सिंह लोधी को मैदान में उतारा है जबकि INDIA गठबंधन की ओर से उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया जाना बाकी है.

रामपुर जिला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद डिवीजन में आता है. यह जिला उत्तर में उधम सिंह नगर जिला, पूर्व में बरेली, पश्चिम में मुरादाबाद और दक्षिण में बदायूं जिले से घिरा हुआ है. रामपुर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें (बिलासपुर, रामपुर, चमरव्वा, स्वार और मिलाक) आती हैं जिसमें 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी को तो 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. लेकिन मई 2023 में स्वार विधानसभा सीट पर कराए गए उपचुनाव में जीत अपना दल (सोनेलाल) के खाते में चली गई. रामपुर विधानसभा सीट से चुने गए विधायक अब्दुल्ला आजम खान बाद में अयोग्य घोषित कर दिए गए जिस वजह से उपचुनाव कराए गए और बीजेपी गठबंधन को जीत मिल गई. रामपुर विधानसभा सीट पर अब तक मुस्लिम उम्मीदवार ही विजयी होता रहा है, लेकिन उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल कर ली.

2019 में सपा को मिली थी जीत

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर समाजवादी पार्टी के आजम खान विजयी हुए थे. आजम खान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे और उन्होंने 2 बार की सांसद रहीं फिल्म अत्रिनेत्री जयाप्रदा को हराया था. आजम को 559,177 वोट मिले तो बीजेपी की जयाप्रदा को 449,180 वोट मिले थे. उन्होंने 109,997 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की थी.

हालांकि आजम खान लंबे समय तक सांसद नहीं रह सके क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के बाद यहां पर कराए गए उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने समाजवादी पार्टी से यह सीट झटक ली. घनश्याम सिंह ने 42,192 मतों के अंतर से सपा उम्मीदवार और आजम खान के खास कहे जाने वाले मोहम्मद असीम रजा को हराया था. 2019 के चुनाव में रामपुर सीट पर कुल 16,58,551 वोटर्स थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 8,94,331 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,64,121 थी. इसमें से कुल 10,60,921 (64.4%) वोट पड़े थे.

रामपुर सीट का संसदीय इतिहास

रामपुर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस सीट पर पहला चुनाव (1952) जीतने का श्रेय देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद को जाता है. मुस्लिम बहुल सीट होने की वजह से यह सीट हमेशा चर्चा में रही है. ज्यादातर मौकों पर मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं. अब तक हुए 17 चुनावों में 12 बार मुस्लिम उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं.

वहीं रामपुर लोकसभा सीट पर 5 चुनावों में ही हिंदू प्रत्याशियों के खाते में जीत गई है. 1977 के चुनाव में पहली बार लोक दल के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार शर्मा के रूप में हिंदू उम्मीदवार को जीत मिली थी. फिर दूसरी बार राजेंद्र कुमार शर्मा को ही जीत मिली. उन्हें बीजेपी के टिकट पर 1991 में जीत मिली थी. फिर 3 चुनाव में मिली हार के बाद 2004 में सपा की प्रत्याशी तब आजम खान की खास रहीं जयाप्रदा ने जीत हासिल की थीं. वह 2009 के चुनाव में भी विजयी रही थीं. हालांकि साल 2014 के चुनाव में देश में चले मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में आ गई और डॉ. नेपाल सिंह विजयी हुए.

कांग्रेस की हालत यहां पर खराब होती जा रही है. कभी 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस यहां पर लगातार चुनाव जीतती रही थी. आपातकाल के बाद हुए चुनाव में 1977 में जनता दल के राजेंद्र कुमार शर्मा चुनाव जीते थे. 1980 में कांग्रेस ने रामपुर सीट पर फिर से जीत हासिल की. नवाब खानदान से नाता रखने वाले जुल्फीकार अली खान उर्फ मिक्की मियां ने यहां से 5 बार चुनाव जीता. मिक्की मियां ने 1967 में पहली बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सांसद बने थे. 1971, 1980, 1984 और 1989 में भी वह विजयी रहे थे. 1996 और 1999 में कांग्रेस की प्रत्याशी बेगम नूर बानो को जीत मिली थी.

क्या है यहां का राजनीतिक समीकरण

हालांकि बेगम नूर बानो को 1998 में बीजेपी के प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. 1999 के चुनाव में बाजी पलट गई और बेगम ने मुख्तार अब्बास नकवी को हराते हुए पिछली हार का बदला लिया और दूसरी बार सांसद बनीं. फिर यहां से कांग्रेस को अपनी पहली जीत का इंतजार है. यहां से रामपुर में बीजेपी और सपा के बीच ही टक्कर रही है.

रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के लिहाज देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की सबसे अधिक है. मुस्लिम वोटर्स के बाद लोधी वोटर्स आते हैं. यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां उपचुनाव में लोधी (घनश्याम) को अपना प्रत्याशी बनाया था जिसका फायदा भी मिला और वो चुनाव जीत गए. रामपुर में मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 फीसदी हैं तो हिंदू वोटर्स की संख्या 43 फीसदी है.