भारत का मुरीद हुआ जर्मनी! रूस से तेल खरीदने पर बोला- हमें कोई लेना-देना नहीं

भारत का मुरीद हुआ जर्मनी! रूस से तेल खरीदने पर बोला- हमें कोई लेना-देना नहीं

अमेरिका के बाद अब जर्मनी ने भी साफ कर दिया है कि भारत की ओर से रूस से तेल खरीदने के मुद्दे से उसका कोई लेना-देना नहीं है. जर्मनी के राजदूत ने कहा है कि यदि आपको कम कीमत पर तेल मिल रहा है तो इसके लिए हम भारत को दोष नहीं दे सकते.

भारत की ओर से रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के मुद्दे पर जर्मनी के राजदूत की प्रतिक्रिया सामने आई है. जर्मनी के राजदूत ने दो टूक लहजे में कह दिया है कि इस मुद्दे से उनका कोई लेना-देना नहीं है. यदि आप कम कीमत पर तेल हासिल करते हैं तो इसके लिए हम भारत को दोष नहीं दे सकते हैं. राजदूत की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब दो दिन बाद यानी शनिवार को जर्मनी के चांसलर भारत दौरे पर आने वाले हैं.

जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा, ‘भारत की ओर से रूस से तेल खरीदने के मामले में हमें कुछ लेना-देना नहीं है. यदि आप इसे कम कीमत पर हासिल करते हैं, तो मैं इसके लिए भारत को दोष नहीं दे सकता है.’ दरअसल, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने वाले रूस पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की ओर से कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. तेल पर प्राइस कैप (मूल्य सीमा) भी लगा रखा है. इस बाद भी भारत रूस के साथ रियायत दामों पर तेल आयात कर रहा है.

भारत तीसरा सबसे बड़ा आयातक

चीन और रूस के बाद भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. रूस पर प्रतिबंधों की वजह से कई देशों के साथ उसके व्यापार ठप पड़े हैं ऐसे में भारत ने मौके का फायदा उठाते हुए कम दाम पर तेल लेना शुरू किया. शुरू-शुरू में नाटो समेत पश्चिम देशों ने इसकी जमकर आलोचना भी की थी लेकिन, भारत पीछे नहीं हटा.

भारत ने अपने इरादे को साफ करते हुए कहा दिया है कि जहां से भी अच्छी डील मिलेगी वहां से वो तेल खरीदेगा. पिछले साल विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह साफ कर दिया था कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू होने से पहले ही भारत ने रूस के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए बातचीत शुरू कर दी थी. जयशंकर ने यूरोप के देशों को उनकी नीतियों को लेकर जबरदस्त लताड़ भी लगाई थी.

शनिवार को भारत दौरे पर आएंगे चर्मनी के चांसलर

रूस और यूक्रेन के बीच एक साल से चल रही जंग के बीच जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज शनिवार को दो दिनों के लिए भारत दौरे पर आने वाले हैं. दौरे के मुख्य फोकस व्यापार, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ उर्जा (क्लीन एनर्जी) जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर रहेगा. इस दौरान रूस और यूक्रेन के बीच शांति कायम रखने को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इससे पहलेअमेरिका ने भी साफ कर दिया था कि उसे इस मामले में कोई विरोधाभास नहीं है.