कारपेट एरिया बेचा, छत-दीवार नहीं… दुकान बेचने के बाद कोर्ट पहुंचा शख्स, क्या हुआ फैसला?
एक शख्स ने अपनी दुकान बेची, दुकान को बेचने के बाद उसे अपनी दुकान में बदलाव करना पसंद नहीं आया और वो कोर्ट पहुंच गया, वहां उसने ऐसी बातों की दलीलें पेश की, जिसे जानकर सभी ने कहा भाई ये क्या है?
उत्तराखंड के ऊधम सिंह में एक शख्स की अजीबो-गरीब दलील लेकर कोर्ट पहुंच गया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान था. शख्स ने अपनी दुकान को बेच दिया और उसके रुपए ले लिए. लेकिन कुछ समय बाद दुकान को जिस शख्स ने खरीदा था उसने दुकान में रेनोवेशन कराने की जरूरत समझ आई. उसने वो काम कराना शुरू कर दिया, लेकिन दुकान में बदलाव का होना पहले मालिक को पसंद नहीं आया. इस मामले को लेकर वो कोर्ट पहुंच गया और हैरान करने वाली दलीलें कोर्ट में देने लगा.
याचिकाकर्ता नवीन ने कोर्ट में दलील पेश की, जिसमें उसने दुकान के बेचने की बात को तो स्वीकार किया, लेकिन नवीन का कहना है कि उसने दुकान का सिर्फ कारपेट एरिया बेचा है न कि दीवारें और छत. वहीं विपक्ष के वकील ने इस मामले में तर्क दिया कि नवीन की तरफ से दी गईं ये दलीलें बेबुनियाद हैं, ये सिर्फ अदालत का समय बर्बाद कर रहे हैं.
कारपेट एरिया बेचा है दीवारें और छत नहीं
नवीन अपने भाई को ही दुकान बेची थी, जिसे लेने के बाद उसने दुकान में शटर लगवाने की जरूरत समझी. इसपर नवीन को भाई मुकुल अग्रवाल का ऐसा करना पसंद नहीं आया और वो कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट में अजीबो-गरीब दलीलें देने लगा. उसने कहा कि दुकान की दीवारें और छत नवीन की दुकान जसपुर बाजार में स्थित है.
कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?
इस मामले में सिविल जज ने सुनवाई की. सिविल जज ने मुकुल अग्रवाल के इस तर्क को माना कि ऐसी कोई संपत्ति नहीं है, जिसमें कारपेट एरिया को बेचा जाए और दीवार और छतों पर पहले मालिक का अधिकार हो. कोर्ट ने कहा कि मुकुल को दुकान में शटर लगाने का अधिकार है और अपनी जरूरतों के अनुसार उसमें बदलाव करवा सकता है. कोर्ट ने नवीन की याचिका को खारिज कर दिया.