Gorakhpur Lok Sabha Seat: गोरखनाथ मठ से तय होती यहां की राजनीति, 35 साल से लहरा रहा भगवा; दूसरी बार रवि किशन मैदान में

Gorakhpur Lok Sabha Seat: गोरखनाथ मठ से तय होती यहां की राजनीति, 35 साल से लहरा रहा भगवा; दूसरी बार रवि किशन मैदान में

गोरखपुर में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में 11 बार से ज्यादा मंदिर के महंत या मंदिर से जुड़े लोग जीत दर्ज करने में कामयाब हुए हैं. योगी आदित्यनाथ का कर्मस्थल भी गोरखपुर ही है. वह महंत अवेद्यनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 1998 से 2017 तक लगातार लोकसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व करते रहे.

गोरखपुर पूर्वांचल की सबसे प्रभावशाली लोकसभा सीटों में से एक है. या ये कहें कि पीएम नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधित्व वाली वाराणसी सीट के बाद यह यूपी की सबसे महत्वपूर्ण सीट है तो गलत नहीं होगा. गोरखपुर के बारे में कहा जाता है कि यहां जिस पार्टी का कैंडिडेट जीतता है उसका प्रभाव आसपास की कई लोकसभा सीटों पर भी पड़ता है. गोरखपुर यूपी का एक धार्मिक महत्व वाला शहर है. यह आर्य संस्कृति एक महत्वपूर्ण केंद्र है. प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ मंदिर यहां स्थित है. कहा जाता है कि गोरखपुर मतलब गोरक्षपीठ धाम. विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, गीता वाटिका के साथ टेराकोटा शिल्प के लिए गोरखपुर मशहूर है. इसके साथ ही इसे साहित्यकारों का भी शहर कहा जाता है. गोरखपुर कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली रही है तो मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी का गृह जिला भी. महान स्वतंत्रता सैनानी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की शहादत स्थली के रूप में भी गोरखपुर को जाना जाता है.

बात यहां की राजनीति की करें तो गोरखनाथ मठ इसकी धुरी है. गोरखपुर में अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में 11 बार से ज्यादा मंदिर के महंत या मंदिर के मंहत के आशीर्वाद से उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कर्मस्थल भी गोरखपुर ही है. वह अपने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 1998 से 2017 तक लोकसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.

2019 में भोजपुरी सुपर स्टार रविकिशन बने सांसद

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से रवींद्र श्यामनारायण शुक्ल उर्फ रविकिशन सांसद बने हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी के रामभुआल निषाद को 301664 वोटों से हराया है. रविकिशन को 717122 वोट मिले थे तो वहीं सपा उम्मीदवार को 415458 वोट मिले. यह स्थिति तब थी जब 2019 में सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही थी.

गोरखपुर लोकसभा का इतिहास

गोरखपुर में आजादी के बाद 1952 में हुए चुनाव में यहां कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस पार्टी के सिंहासन सिंह यहां से विजयी हुई थे. इसके बाद दूसरे चुनाव 1957 और तीसरे चुनाव 1962 में भी कांग्रेस पार्टी के सिंहासन सिंह ने ही जीत दर्ज की. 1967 में यहां की राजनीति में गोरक्षपीठ की एंट्री हुई और महन्त दिग्विजयनाथ और 1970 में महंत अवैद्यनाथ ने जीत दर्ज की. इसके बाद फिर 1971 से 1984 तक कांग्रेस पार्टी यहां चुनाव जीतती रही. 1989 में एकबार फिर महन्त अवैद्यनाथ हिन्दू महासभा की टिकट पर संसद पहुंचे. इसके बाद 1991 से 2017 तक गोरखपुर सीट पर गोरक्षपीठ के महंत का कब्जा रहा है.

योगी आदित्यनाथ बने पांच बार सांसद

1991 में महंत अवैद्यनाथ ने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की फिर वह 1998 तक यहां के सांसद रहे. उनके बाद 1998 से 2014 तक लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद चुने गए. 2017 में यूपी के सीएम बनने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के पवीण कुमार निषाद ने जीत दर्ज की. 2019 के चुनाव में फिर बीजेपी ने गोरखपुर सीट पर कब्जा कर लिया.

गोरखपुर का जातीय गुणा-भाग

गोरखपुर लोकसभा के अंदर पांच विधानसभा सीट- गोरखपुर नगर, गोरखपुर ग्रामीण, कैम्पियरगंज, पिपराईच और सहजनवा हैं. गोरखपुर लोकसभा सीट में कुल 20,74,745 वोटर हैं. इनमें 11,12,023 पुरुष जबकि महिला वोटरों की संख्या 9,62,531 है. 2011 की जनगणना के अनुसार गोरखपुर की औसत साक्षरता दर 60.81% है. गोरखपुर की राजनीति कभी ब्राह्मण और बाबू साहब यानि ठाकुर के खेमे में बंटी रहती थी. बाद में ओबीसी और दलित आधारित पार्टियां आने के बाद धुरी बदल गई है.

गोरखपुर में पिछड़े और दलित मतदाता ज्यादा हैं. यहां सबसे ज्यादा करीब 4 लाख निषाद वोटर हैं यह यहां निषाद जीत हार तय करने में निर्णायक हैं. इसके साथ ही दो लाख यादव, डेढ़ लाख मुस्लिम, डेढ़ लाख ब्राह्मण, करीब सवा लाख ठाकुर और एक लाख भूमिहार और एक लाख वैश्य वोटर हैं. 2024 के लिए बीजेपी ने एकबार फिर रवींद्र श्यामनारायण शुक्ल उर्फ रवि किशन को मैदान में उतारा है. वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.